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Episode 1

Episode 1: Tumse Pehli Nazar

"Kabhi kabhi, ek pal mein zindagi badal jaati hai. Aur kabhi zindagi bhar woh pal nahi jaata...

"

जिंदगी हज़ारों दिनों से बनती है, पर कभी-कभी एक पल — एक नज़र, एक टक्कर — सब कुछ बदल देती है।

उसी एक पल की शुरुआत थी वो सुबह...

दिल्ली यूनिवर्सिटी का पहला दिन था।

रेहान सिंह, अपनी आँखों में एक पुरानी कहानी और हाथ में एक भूरे रंग की डायरी लिए, यूनिवर्सिटी के गेट पर खड़ा था। उसके चेहरे पर सुकून और बेचैनी दोनों साथ थे — जैसे कुछ खोया हो, और शायद कुछ पाने की उम्मीद भी हो।

उसके हाथों में डायरी थी, लेकिन दिल में एक ऐसी याद, जिसे वो मिटा देना चाहता था।

एक साल पहले उसने किसी को खोया था — उसका पहला प्यार, जो बिना अलविदा कहे चला गया था।

शायद इस कॉलेज में कुछ नया शुरू होगा… या वो फिर से वही अधूरी कहानी दोहराएगा?

वहीं दूसरी ओर, सारिना शाह, एक नीले दुपट्टे में, टैक्सी से उतरी। तेज़ हवा उसके बालों से खेल रही थी, और वो हवा से लड़ती हुई क्लासरूम की तरफ बढ़ रही थी। उसकी चाल तेज़ थी, पर उसकी आँखों में एक ठहराव था — जैसे वो किसी को ढूंढ रही हो… या शायद खुद को।

उसकी चाल तेज़ ज़रूर थी, लेकिन दिल बहुत धीरे-धीरे चल रहा था।

दिल्ली आना कोई रोमांच नहीं था — ये माँ की जिद और अपने डर से भागने का रास्ता था।

कभी-कभी इंसान खुद को नए शहर में नहीं ढूंढता… बल्कि खोने आता है।

कॉलेज की पहली क्लास, और पहली ही मुलाक़ात — टक्कर से शुरू हुई।

सारिना का बैग रेहान से टकराया, किताबें ज़मीन पर गिरीं, और दोनों की नज़रें मिलीं।

एक तेज़ झोंका आया, और Sarina का बैग Rehan की बाज़ू से टकराया —

किताबें ज़मीन पर गिरीं, एक पेन लुड़कता हुआ Rehan के जूते से टकराया।

Sarina झुकी, लेकिन उसकी आँखें Rehan की आँखों से टकराईं।

वो पल कुछ सेकेंड का था… पर वक़्त थम गया था।

उसके बैग से किताबें ज़मीन पर ऐसे बिखरीं, जैसे कोई भूली हुई दास्तान फिर से ज़िंदा हो गई हो।

एक किताब का पन्ना खुला… और उस पर लिखा था:

_"Emotion is more powerful when it’s silent."_

Rehan और Sarina की नज़रें वहीं अटकी थीं।

“Excuse me? Dekh ke nahi चल सकते?” सारिना ने नाराज़ होकर कहा।

Rehan ने कुछ कहने से पहले 3 सेकंड तक सिर्फ उसकी आँखों में देखा।

वो शब्द ढूँढ रहा था… या शायद खुद को।

उसकी आँखों में थका हुआ प्यार था… और एक नई उम्मीद की हल्की परछाई।

रेहान ने सर उठाया, उसकी आँखों में देखा और शांत स्वर में बोला, “कभी-कभी किताबें गिरती हैं, ताकि कुछ नए पन्ने खुल सकें।”

सारिना हैरान रह गई — ना जवाब में गुस्सा, ना बहस… बस एक मुस्कान और एक अनकही गहराई।

शाम को कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर नाम आया — ग्रुप प्रोजेक्ट के लिए टीम बन चुकी थी। टॉपिक था: "Emotion vs Logic in Love"

Sarina भीड़ में अपना नाम ढूंढ रही थी, तभी उसकी नज़र उसी नाम के पास Rehan पर पड़ी।

उसकी आँखों में वही ठहराव था, और Sarina को कुछ अजीब सा सुकून महसूस हुआ — जिसे उसने नजरअंदाज़ किया।

Rehan चुप था… पर notice board पढ़ते हुए जैसे कुछ और सोच रहा था — शायद कुछ पुरानी यादें।

सारिना और रेहान एक ही टीम में थे।

सारिना ने तुंरत कहा, “Emotion. Obviously. मोहब्बत दिल से होती है, दिमाग से नहीं।”

Sarina ने बहस जीतने के लिए नहीं, अपने दिल को सही साबित करने के लिए कहा था।

उसका past उसे यही सिखा गया था — दिल गलत नहीं होता, लोग होते हैं।

Rehan की तर्क में छुपा तजुर्बा किसी गहरी चोट से निकला था… वो अब दिल से नहीं, logic से जीने लगा था।

Sarina के लिए प्यार एक दुआ था — बिन वजह दिया गया एहसास।

Rehan के लिए प्यार एक सज़ा — जो उसे समझ में आ गई थी, पर दिल से नहीं उतरी थी।

उन दोनों के तर्क अलग थे… पर एक ही चीज़ से जुड़े थे — मोहब्बत।

रेहान ने धीमे से जवाब दिया, “Logic ज़रूरी है… क्यूंकि दिल कई बार वही चाहता है जो हमें तोड़ देता है।”

वो पहली बहस नहीं थी — वो पहली चिंगारी थी।

रात को रेहान अपने कमरे में डायरी खोलकर लिख रहा था।

हर रात वो अपनी डायरी में एक लाइन लिखता था — किसी के लिए, जो अब नहीं थी।

लेकिन आज… पहली बार किसी नई लड़की के लिए कुछ लिखा गया था।

ये इश्क़ नहीं था — पर कुछ तो था… जो साँसों से ज़्यादा करीब लग रहा था।

“आज कोई मिला… जो सिर्फ़ जवाब नहीं देता, सवाल भी छोड़ जाता है। शायद वो मेरी कहानी का पहला किरदार है… या शायद आखिरी।”

...जो मेरी अधूरी डायरी के आखिरी पन्ने में जगह बना गया।

मैं उससे मिला नहीं… वो मेरे भीतर उतर गया है।

मुझे नहीं पता क्या है ये… पर दिल हल्का है, और पन्ना भारी।

वहीं सारिना अपनी खिड़की से बाहर आसमान देख रही थी।

उसने अपने फोन में नोट्स खोले और लिखा:

“कुछ लोग आते हैं, और उनसे बहस होती है। लेकिन कुछ लोग…... पर कुछ लोग… हमें चुपचाप देखने लगते हैं, जैसे हमें हमारे अंदर से जान गए हों।

वो अजनबी था, पर उसकी आँखें जानी-पहचानी सी लगीं… शायद इसलिए मैं अब खुद से डर नहीं रही हूँ।

दिल के किसी खाली कोने में उतर जाते हैं, बिना दस्तक दिए।”

उस रात, दोनों अलग-अलग जगहों पर थे, लेकिन एक ही एहसास उन्हें जोड़ रहा था —

"Tumse Pehli Nazar... aur ek Anjaani Si Mohabbat."

एक पन्ना खुला, दो नाम जुड़े… और एक अनदेखा सफर शुरू हुआ।

जहाँ इश्क़ ने अभी इज़हार नहीं किया… पर वजूद पा लिया।

रात के आसमान में एक टूटा हुआ तारा गिरा था… शायद किसी दिल की ख्वाहिश पूरी होने जा रही थी।

दोनों को एहसास नहीं था, पर कहानी शुरू हो चुकी थी — बिना आवाज़, बिना इकरार… बस एहसास से।

(To be continued...)

🌙 "Agle Episode mein..."

जब शब्द कम पड़ जाएं, तब आंखें बोलती हैं।

जब कोई नज़दीक ना हो, तब उनकी याद और भी करीब हो जाती है।

Rehan को पता नहीं था कि वो एक पन्ना पलट चुका है,

और Sarina को नहीं मालूम कि उसकी ज़िन्दगी में कोई चुपचाप दाख़िल हो चुका है।

अगले भाग में — एक अनजाने फोन कॉल, एक पुराना खत, और एक इत्तेफ़ाक़…

जो Rehan और Sarina के दिल के फासले और भी कम कर देगा।

📘 Emotional Closure Line :

कभी किसी को पढ़ना चाहो…

तो उसकी डायरी नहीं, उसकी खामोशियाँ पढ़ो।

और अगर किसी की नज़र पहली बार कुछ कहे —

तो शायद वही पहली मोहब्बत होती है…

📩 ✍️ लेखिका – मिस पटेल की कलम से आप पढ़को से के लिए एक छोटा सा संदेश । 🌸

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एक नई उलझन और एक नई मुस्कान के साथ।

- आपकी अपनी लेखिका,

💖 मिस पटेल

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Devanshi Patel

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